रागी खाने के यह ५ नुकसान और फायदे

रागु किसे कहते है?

रागी एक बहुत प्रसिद्ध प्रकार का सबूत अनाज है जो हाल ही में अपने पौष्टिक तत्वों एवं वजन कम करने की क्षमता से आम लोगों में खूब प्रसिद्ध हुआ है। रागी जिसे  देश के अन्य राज्यों में Finger millet, नाचनी या मड़ुआ भी कहा जाता है, अपने भूरे रंग और कैल्सीअम की भरपूर मात्रा के लिए जाना जाता है। 

ragi grain

रागी यू तो अफ्रीका में सबसे जादा इस्तेमाल होने वाला अनाज हुआ था जो अब भारत के भी दक्षिण और उत्तर पूर्व राज्यों में उगाया जाता है। रागी की खेती और उत्पादन किसी अन्य अनाज जैसा ही है, लेकिन पोषण बाकी अनाज से काफी जादा। रागी को जादातर आते के रूप में ही उपयोग किया जाता है। 

बढ़ते हार्ट, बीपी और डाइअबीटीज़ जैसी समस्याओं के चलते आटे के जगह रागी का इस्तेमाल होना शुरू हो गया है, जो आटे से अधिक पौष्टिक, स्वास्थ के लिए उत्तम और फ़ाइबर युक्त है जो पाचन क्रिया को भी मज़बूत करे। आटे में जादा मात्रा में शुगर और कम फ़ाइबर होने से रागी को आटे के स्थान पे उपयोग किया जाता है, जिससे जादा फ़ाइबर, मिनेरल और प्रोटीन मिलता है। 


रागी के पौष्टिक तत्व और गुण 

अपने कैल्सीअम और बाकी मिनेरल्स से प्रसिद्ध हुए रागी में कई प्रकार के पौष्टिक तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते है जो आमतौर पर किसी अन्य अनाज में नहीं पाए जाते। साथ ही सबूत अनाज होने से रागी शरीर की पाचन क्रिया, खून साफ करना और टॉक्सिनस को नष्ट करने में भी सहायता प्रदान करता है। 

nutritional value of ragi


इन्ही कारणों के चलते धीरे धीरे हृदये रोगी अपने खाने में आटे या अन्य अनाज छोड़ नाचनी की रोटी या नाचनी से बनी चीज़े खाना पसंद करते है। इससे न केवल उन्हे परियाप्त पोषण मिलता है बिलकी उनके कम तेल और मसले वाले खाने में स्वाद की वृद्धि भी हो जाती है, जिससे वे अपना खाना खुशी से खाते है। रागी के हर 100  ग्राम  पर हमे कम से कम, 

  • कलोरीस - 332 kcal 
  • करबोहयदरतेस - 72 gm 
  • प्रोटीन - 8 gm 
  • फैट - 1.2 gm 
  • फ़ाइबर - 3.5 gm 
  • कैल्सीअम - 347 mg 
  • आइरन  - 4 mg 
  • पटैसीअम - 407 mg 
साथ ही रागी बड़े उम्र के लोगों के लिए भी बहुत फायदेमंद माना गया है। इसमे पाए गए पटैसीअम और कैल्सीअम की मात्रा अधिक होने से 50 साल से अधिक होने वाले लोग भी नियमित रूप से रागी का सेवन कर अपने शरीर को स्वस्त और तंडरुस्त बना सकते है। 

रागी खाने के फायदे और नुकसान 

रागी खाने से हमे कई फायदे मिलते है जिनमें रोग, बीमारियाँ पोषक तत्व की कमी और अन्य चीज़े भी शामिल है। यह सही है की रोजाना नियमित रूप से रागी का सेवन करने से काफी हद तक पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है जिससे होने वाली सभी बीमारियों से बचाव संभव हो जाता है। 

benefits and drawbacks of eating ragi


लेकिन इसके साथ ही रागी का अत्यधिक सेवन करने से इससे कई नुकसान होने की संभावना भी बढ़ जाती है। यही कुछ फायदेमंद और नुकसान डीटेल में नीचे समझाए गए है, 

फायदे :-

१. हड्डियों की मजबूती - बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों की ताकत कमजोर और शरीर में दर्द पैदा करने लगती है। इसका असर में एक उम्र के बाद सभी में और खासकर महिलों में अधिक देखते है। इसका मूल कारण खाने में कैल्सीअम और पटैसीअम की कमी बताया जाता है। हमारी रोज की डाइट में अक्सर हम जरूरत जितना कैल्सीअम महि ले पाते खासकर जब आप शाकाहारी हो। इसलिए रागी से नियमित सेवन से हमारे शरीर को भरपूर कैल्सीअम और पटैसीअम मिलता है, जिससे हमारी हड्डियाँ ठीक और मज़बूत हो जाती है। 

२. हार्ट हेल्थ - आजकल ४५-५० साल में ही हृदये रोग या हार्ट अटैक के केसेस अधिक मात्रा में देखने को मिल रहे है। इसका मूल कारण गलत खान-पान के साथ एक गलत या अव्यवस्थित जीवनशैली को भी माना जाता है। इस बीच अगर आप एक अछि डाइट और पौष्टिक आहार का सहारा न ले तो शरीर को काफी नुकसान पहुच सकता है। इसी समस्या को रुकने के लिए एक हाई फ़ाइबर और लो फैट डाइइट का सेवन करना जरूरी है, जिसमें रागी प्रचुर मात्रा में फ़ाइबर और कम फैट प्रदान करता है। 

३. कलेस्टरल - जादा मीट या दूसरे मांसाहारी भोजन खाने से शरीर में बाकी तत्वों की मात्रा कम और फैट या कलेस्टरल की मात्रा अधिक हो जाती है, जिससे इसका सीधा असर हमारे हार्ट पे पड़ता है। लंबे समय तक कलेस्टरल कम न करने से हार्ट में ब्लॉककेज जैसे समस्या बन जाती है। जो आगे चल कर हार्ट अटैक का रूप भी ले सकती है, इसलिए एक लो फैट भोजन खाना और रोजाना व्यायाम करना बहुत जरूरी है। रागी ऐसे ही हमारे शरीर को फ़ाइबर और फैट के साथ प्रोटीन की भी अधिक मात्रा प्रदान करता है जिससे शरीर में फैट की मात्रा तेजी से कम हो कर वजन में नियंत्रण आता है। 

४. वजन कम - स्टडीस की माने तो १० में से ५ लोगों को बढ़ते वजन की समस्या है और वे इसे कम करना चाहते है। एक गलत खान-पान से कई दिक्कतें हो सकते है, जो आगे चल कर बाकी रोग बीमारियों की निमंत्रण दे सकता है। इसी समस्या को सुधारने के लिए हमे एक बैलेन्स्ड डाइट खाने की जरूरत है जिसमे सही मात्रा में सभी पौष्टिक तत्व हो और फैट की मात्रा को कम किया जा सके। साथ ही वजन कम करने में अछि डाइट के साथ रोजाना व्यायाम और एक अछि नींद लेना भी जरूरी है। 

५. नई माताओं के लिए - बच्चे को जन्म देने के बाद माता में अक्सर कई पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है। साथ ही कमजोरी और स्वास्थ लाभ में भी गिरावट देखि जाती है जिसे खाने में पूर्ण पोषण से ही दूर किया जा सकते है। ऐसे ही एक कमी आइरन  और कैल्सीअम की भी देखि जाती है जिसमे माता को खून की कमी या खून में पाए गए आइरन की कमी हो जाती है। इसलिए उन्हे अक्सर आइरन युक्त खाना या आइअर्न युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने को कहा जाता है। रागी भी एक अछा आइरन का सोर्स है जिसमें प्रचुर मात्रा में आइरन और कैल्सीअम जैसे मिनेरल्स पाए जातें है। 

नुकसान :-

१. किड्नी स्टोन - रागी बाकी अन्य पोषक तत्वों के साथ साथ मिनेरल्स जैसे आइरन, पटैसीअम और कैल्सीअम से भी युक्त है जो अगर हम जादा मात्रा में खाए तो शरीर उसे पचा नहीं पाएगा और किड्नी स्टोन आदि की समस्या भी हो सकती है। जैसा की हम जानते है, जादातर सटोनेस हमारे शरीर में मिनेरल्स की अपच से ही बनते है। यानि अगर हम जरूरत से जादा मिनेरल्स खाए तो हमारा शरीर बचे हुए मिनेरल्स को डिजेस्ट नहीं कर पता जिसके चलते शरीर में किड्नी स्टोन की दिक्कत हो जाती है। 

२. फ़ाइबर इंडाईजेसटीबिलिटी - जैसा की हम जानते है रागी एक सबूत अनाज है जिसे रिफाइन्ड नहीं किया जाता और सबूत ही इस्तेमाल किया जाता है। इसकी वजह से सबूत अनाज में पाए जाने वाले क्रूड फ़ाइबर भी हमारे खाने में शामिल हो जाते है जो हमारे शरीर के बैक्टीरीया को पोषण प्रदान करने का काम करते है। लेकिन अगर हम अधिक मात्रा में रागी का सेवन करे या इसे ठीक से पकाकर न खाए तो इससे शरीर में गैस, बलोटींग और अपच जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती है। 

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