5 प्रकार के जूस/रस जो शुगर कंट्रोल करने में सहयोग करेंगे


डाइअबीटीज़ या मधुमेह किसे कहते है? 


डाइबेटेस एक बहुत ही गंभीर रोग है जो खून में शुगर के स्तर बढ़ने व घटने से होता है। शुगर स्तर में बढ़त मीठा, ताला, बाहर का खाना, जादा मीठे फल और चावल खाने से होता है। खाने में नियंत्रण न रखने से ही डाइअबीटीज़ के स्तर में बदलाव आते है जिससे सवास्त संबंधी रोग भी बढ़ते है। 


डाइअबीटीज़ किसे कहते है?


डाइअबीटीज़ भी २ प्रकार के होते है जिसमे  टाइप १ (Type 1) और टाइप २ (Type 2) शामिल है। टाइप १ डाइअबीटीज़ में खून में शुगर का स्तर संतुलन करने के लिए इंसुलिन का उत्पादन नहीं हो पाता जिससे इंसुलिन के इन्जेक्शन  लेने पढ़ते है। यह टाइप १ डाइअबीटीज़ बच्चों और युवायों में अधिकतर देखा जाता है। 

टाइप २ डाइअबीटीज़ आमतौर पर जादा लोगों में देखा जाता है, जिसमे इंसुलिन का उपयोग ठीक प्रकार से नहीं किया जाता और शुगर का स्तर शरीर में बढ़ने लगता है। इस प्रकार की डाइअबीटीज़ बड़े आयु वाले लोगों में देखि जाती है, जो अक्सर खराब जीवन शैली के चलते बढ़ते वजन एवं बीपी आदि की समस्याएं अनुभव करते है। 

आजकल १० में से ७ लोगों को डाइबेटेस होने की शिकायत होती है जिसमे से ४ लोग ५० से कम उम्र के होते है। डाइअबीटीज़ में बढ़त होने से इससे  से होने वाली बीपी की समस्या, हृदये रोग, बढ़ता वजन, आँखें कमजोर होना व अपच जैसी समस्याए सामने आती है। 

 

डाइअबीटीज़ में क्या न खाए?

डाइअबीटीज़ में क्या न खाए


डाइअबीटीज़ में सबसे जादा अपने आहार का ध्यान रखना बहुत जरूरी जिससे शुगर लेवल को नियंत्रित रखा जा सके और बढ़ने से रोक जा सके। नीचे दिए गए कुछ खड्ये पढ़ार्थों को नियमित रूप से या न खाने से डाइअबीटीज़ में सुधार हो सकता है, 

- मीठाई या चीनी से बने व्यंजन 
- अधिक तेल में बने या तले खाद्य पदार्थ 
- पैकेट में आने वाले जादा तर चीजों में सोडीअम और शुगर की मात्रा बहुत अधिक होती है
- आम, चीकू, अंगूर, केले व अनार का भी नियंत्रित सेवन अनिवार्य है 
- मैदा, चावल और चावल से बने व्यंजन 
- आलू, अरबी और शकरकंद न खाए 
- फलों का रस व कोल्ड ड्रिंक का सेवन भी बंद करना जरूरी है 

इन सभी खाद्य पदार्थों को खाना कम या बंद करने से डाइअबीटीज़ को नियंत्रित करने में बहुत मद्दत मिलती है, साथ ही वजन बढ़ने से भी राहत मिलती जिससे बाकी रोग बीमारियाँ होने की संभावना भी कम होजाती है। 


डाइअबीटीज़ को नियंत्रित कैसे करे? 


डाइअबीटीज़ होना व बढ़ना किसी एक कारण से नहीं होता बल्कि इसमे कई सारी बातों का विशेष ध्यान रखना होता है। जैसा की हम जानते है की डियबटेस सिर्फ मीठा खाने से ही नहीं बल्कि कई दूसरे कारणों से भी प्रभावित होता है और शरीर को नुकसान पहुचाता है। नीचे लिखे पॉइंट्स में हम यह जानेंगे की और किन बातों से डाइअबीटीज़ का स्तर बढ़ सकता है, 


डाइअबीटीज़ को नियात्राण में कैसे रखे?


१. खान-पान - आपने अक्सर सुना होगा की अगर किसी व्यक्ति को डाइअबीटीज़ है तो सबसे पहले उसे मीठा खाना बंद करना पड़ता है, लेकिन सिर्फ मीठा कम खाना ही काफी नहीं। डाइअबीटीज़ में वजन बढ़ना व पाचन कंजूर होना बहुत आम होता है, जिसे ठीक करने के लिए एक पोषटिक आहार लेना जरूरी है। 

२. जीवन शैली - डाइअबीटीज़ को नियंत्रण में रखने के लिए खान-पान के साथ साथ एक याची और स्वस्त जीवन शैली का नियमित रूप से पालन करना भी जरूरी हाई। आहार अछा होने के साथ ही शारीरिक और मानसिक बल को मज़बूत करना भी अनिवार्य होजाता है। 

३. वजन - वजन बढ़ना डाइअबीटीज़ में बहुत आम बात है, लेकिन वजन कम करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पढ़ता है। यह मुख्य रूप से खाने में गड़बड़ व धीमे पाचन क्रिया की वजह से भी होजाता है। इसे ठीक करने के लिए ऊपर दिए पॉइंट्स को पढे। 

४. व्यायाम - रोज नियमित रूप से योगा, प्राणायाम, एक्सर्साइज़ या व्यायाम करने से शरीर स्वस्त, तंदरूस्त और सक्रिय रहता है। आहार जिसमे भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कम तेल, सलाद एवं साबुत दाल व अनाज खाना फायदेमंद होता है। साथ ही हर २ घंटे में थोड़ा थोड़ा खाना खाने से शुगर का स्तर एकदम बढ़ने से भी रोकता है। 


5 प्रकार के जूस/रस  जो डाइअबेटिक लोगों क लिए है बहुत फायदेमंद 


आमतौर पर किसी भी प्रकार का जूस डाइअबीटीज़ में शुगर को बढ़ाता ही है लेकिन, कुछ खास प्रकार के जूस जो पूर्णरूप से जैविक है और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी गुणकारी है। नीचे लिखे यह पाँच रसों का सेवन करने से डाइअबीटीज़ के साथ साथ अन्य और भी रोग बीमारियों से रक्षा होती है, 

१. गिलोय रस - आयुर्वेद में गिलोय को अमृत के समान माना गया है, क्युकी यह स्वास्थ एवं पोषण हेतु बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ है। गिलोय का रस खासकर डाइअबीटीज़ को कम व कंट्रोल करने में बहुत लाभदायी है। 


गिलोय रस के फायदे


: गिलोय का रस मुख्य रूप से डाइअबीटीज़ को बढ़ने से रोकता है। इसमे पाए जाने वाले पोषक तत्व खून में इंसुलिन का स्राव संभालता है और इसका नियमित सेवन पूर्ण रूप से डाइअबीटीज़ को बॉर्डर लाइन पर भी ले आता है। 

: इसका उपयोग वजन कम करने और नियंत्रित रूप में रखने में भी सहयोग करता है। रोजाना आप १-२ चमच का सेवन बिना किसी साइड इफेक्ट के कर सकते है। 

: गिलोय रस का सेवन इम्यूनिटी या रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मज़बूत करता है जिससे मौसमी बुखार, जुखाम व पाचन क्रिया में गड़बड़ी को भी ठीक करता है। 


२. जामुन रस - जामुन एंटीआक्सिडन्ट युक्त होता है जो खाने में खट्टा मीठा होता है और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसका रोजाना सेवन डाइअबीटीज़ में भी बहुत लाभदायी होता है। 


जामुन रस के फायदे?


: इसका उपयोग जादा तर डाइअबीटीज़ के लिए ही किया जाता है और यह खून साफ करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। 

: जामुन में पाए जाने एंटीऑक्सिडनट्स सामान्य रूप से इन्फ्लमैशन को कम तो करते है ही पर साथ ही इम्यूनिटी को भी मज़बूत करते है। 

: जामुन का रस हृदये रोग एवं पाचन क्रिया में सुधार करता है जिससे वजन कम करने में भी फायदा होता है। इसे ही रोजाना जामुन का इस्तेमाल पाचन भी ठीक करता है।
 

३. नीम रस - नीम खाने में जितना कड़वा होता है उतना ही हमारे डाइअबीटीज़ को नियंत्रित करने में फायदेमंद होता है। नीम बाहरी त्वचा को साफ करने के साथ साथ आंतरिक सफाई में भी बहुत गुणकारी है। 


नीम रस के फायदे?


: आमतौर पर नीम का रस त्वचा संबंधित रोग व कील मुहासों को ठीक करने क लिए प्रयोग किया जाता है, लेकीम नीम को डाइअबीटीज़ से होने वाले विभिन्न रोगों से लड़ने भी मद्दत करता है। 

: उसके साथ साथ नीम कून साफ करने और इंसुलिन के सही उत्पादन में भी सहायक है, जिससे डाइअबीटीज़ को नियंत्रित करने में भी आसानी होती है। 

: इसके अलावा नीम का रस एंटीआक्सिडन्ट , एंटीइन्फ्लैमटोरी, एंटीफंगगल, एंटीबैक्टिरीअल और कैंसर का उत्पादन करने वाले सेल्स को नष्ट करने में भी मद्दत करते है। 


४. आमला रस - डाइअबेटिक रोगी अगर रोजाना खाली पेट आमला के रस का सेवन करे तो काफी हद तक शुगर लेवल को नियंत्रित करता है और साथ ही विटामिन सी जैसे विटामिन का भी अछा स्रोत है। 


आमला रस के फायदे?


: खाली पेट आम्ले का रस पीने से पाचन क्रिया भी मज़बूत व गैस या असिडिटी से भी राहत मिलती है, जिससे वजन में बढ़ोतरी नहीं होगी और डाइअबीटीज़ भी नियंत्रण में रहेगी। 

: इसके साथ ही आमला माना जाता है आपने पोषक तत्वों के लिए जो बालों की सेहत व त्वचा के निखार में भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। 

: आमला में मौजूद विटामिंस और मिनेरल्स की भरमार से हमारी इम्यूनिटी या रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मज़बूत करता है जो शुगर लेवल को और बिगड़ने से बचाता है। 


५. करेला रस - करेल जितना ही लोग नापसंद करते है उतना ही ये गुणकारी और सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। करेले का रस बहुत से रोग व इंफएक्टिओनस से रक्षा करता है और इसका नियमित सेवन डाइअबीटीज़ से भी बहुत हद तक राहत देता है। 


करेला रस के फायदे?


: करेले को एंटी डाइअबेटिक भी कहा जाता है जो बढ़ते शुगर लेवल को नियंत्रित करने में भी बहुत मद्दत करता है और बढ़ने से रोकता है। 

: इसके अलावा करेले का रस एंटी इन्फ्लैमटोरी भी होता है जो अल्सर या घाव बनने से रोकता है और पाचन क्रियाओं को भी शक्ति देता है। 

: करेला अपने आप में ही डाइअबीटीज़ को पूर्ण रूप से कम करने और पढ़ने से रोकने में सशक्त होता है जिसका निर्धारित सेवन करने से डाइअबीटीज़ के साथ साथ बीपी और हृदये के रोगों से भी छुटकारा मिलता है। 

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