क्या है प्लांट प्रोटीन ?
प्रोटीन एक तरह का जरूरी तत्व है जिसका का काम शरीर को स्वास्थ, तंदरुस्त और बाकी तत्वों का बैलन्स बनाने का होता है। यू तो जिम जाने वाले या स्वास्थ की चिंता करने वाले लोग अक्सर मास, अंडे व अन्य मांसाहारी खाने का सेवन कर अपने दिन की प्रोटीन की कमी को पूर्ण करते है, लेकिन शाकाहारी / वेजेटेरीअनस यह कमी पूरी नहीं कर पाते और अक्सर प्रोटीन की कमी का शिकार होते है।
प्लांट प्रोटीन उन खाद्य पदार्थों को कहा जाता है जो हमे सब्जियों या अन्य वनस्पति स्रोत से मिलता है। यह सभी खाद्य पदार्थ प्रोटीन के साथ साथ विटामिन, मिनेरल्स और फ़ाइबर की मात्रा में भी सम्पूर्ण होते है। इससे हमारे शरीर को नियमित ऊर्जा, शक्ति, संतुलन व सभी पोषक तत्वों की माँग पूरी करने की सहायता मिलती है।
प्लांट प्रोटीन को कई विभिन्न तरीकों से अपने भोजन में शामिल किया जा सकता है, जिससे वह स्वाद भी बढ़ाए और पोषण भी दुगना कर दें। प्रोटीन प्रोटीन किसी सब्जी, दाल, बीज या ड्राइ फ्रूट के रूप में हो सकता है जो हमारे शरीर की प्रोटीन की कमी या माँग को पूर्ण करने में सक्षम होता है।
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वेजेटेरीअनस को क्यू चाहिए प्रोटीन ?
सबसे अधिक मात्रा में पाए जाने वाले प्रोटीन के स्रोत मांसाहारी भोजन में ही पाए जाते है, जो शरीर में जल्दी घुल कर जादा मात्रा में प्रोटीन प्रदान करते है। भारत में जादा शाकाहारी लोग होने के कारण उन सभी की रोजाना की प्रोटीन की माँग पूर्ण नहीं हो पट्टी जिससे शरीर में रोग, बीमारियाँ व इन्फेक्शन का खतरा बन जाता है।
इन्ही सभी समस्याओं को दूर करने के लिया रोजाना उचित मात्रा में प्रोटीन का सेवन करना जरूरी होता है। प्रोटीन को अधिक मात्रा में होने के साथ ही शरीर में अधिक से अधिक घुलने का भी फायदे देना आवश्यक है। वेजेटेरीअनस खाने में इसकी कमी होने के कारण लोग बाहरी सप्लमेन्ट लेते है जिससे शरीर में उपच, गैस और पाचन क्रिया को कमजोर करता है।
इसलिए खासकर वेजेटेरीअनस / शाकाहारी लोगों को रोजाना नियम से उचित मात्रा में प्लांट प्रोटीन को अपने खाने में शामिल कर प्रोटीन की कमी को दूर करना चाहिए और शरीर को ताकत व ऊर्जा प्रदान कर स्वस्थ बनाना चाहिए।
रोजाना कितना प्रोटीन खाए ?
यू तो किसी भी उम्र में लोगों की प्रोटीन लागत एक सी नहीं होती। यह हर इंसान की उम्र, वजन और काम करने की क्षमता पे निर्भर करता है। इसलिए हो सकता है की अगर आप बहुत जादा शरीरिक श्रम करते हो तो आपका प्रोटीन इंटेक आपकी उम्र और वजन वाले लोगों से अधिक हो।
अगर आप बहुत जादा शरीरिक बल का उपयोग न करते हो तो अपने वजन अनुसार ०.८ ग्राम / केजी बॉडी वैट प्रोटीन ले सकते है। साथ ही जो लोग खेलकूद, जिम या अन्य शरीरिक गतिविधियों में शामिल है वे १.२-१.५ ग्राम / केजी बॉडी वैट प्रोटीन अपने डाइट में ले सकते है।
साथ ही एक उम्र के बाद अधिक अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन लेना संभव नहीं होता जिससे शरीर संबंधी समस्याएं बढ़ने लगती है। इसी को दूर करने के लिए ६० से अधिक उम्र वाले लोगों को १-१.२ ग्राम / केजी बॉडी वैट प्रोटीन लेना चाहिए जो प्रोटीन की कमी को पूरा करे और साथ ही हमारी किड्नी पे जोर भी न डाले।
४ बेस्ट प्लांट प्रोटीन फूड्स
वेजेटेरीअनस अक्सर अपनी परोएं की लागत को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करते है, क्युकी वेजेटेरीअन खाने में जादा प्रोटीन नहीं होता और कई सारे खानों में अन्य पोषक तत्वों की मात्रा प्रोटीन से अधिक होती है। इसलिए नीचे दिए गए है कुछ खास खाने के ऑप्शन जो आप आसानी से इस्तेमाल कर अपने भोजन की प्रोटीन की मात्रा बढ़ सकते है।
१. सोय बीन :
सोया बीन एक तरह का मोटा अनाज है जिसे पहाड़ों में बहुत खाया जाता है। सोय बीन को कई अलग अलग तरीकों से खाया जाता है जिसमे हम सोय बीन की दाल, सोय बीन की बड़ी और उसका आटा भी इस्तेमाल करते है। प्रोटीन का हाई सोर्स होने के कारण जिम जाने वाले कई वेजेटेरीअनस सोय बीन को अपने प्रोटीन सोर्स के रूप में खाना पसंद करते है। हर १०० ग्राम सोय बीन से हमे २० ग्राम प्रोटीन मिलता है जो वेजेटेरीअन खाने में सबसे अधिक माना गया है।
२. ड्राइ फ्रूइट्स और बीज :
अपने स्वाद, पौष्टिक आहार और बहुमुखी होने के कारण बहुत प्रसिद्ध और पसंद किया जाने वाला प्रोटीन सोर्स है। कई जिम व हेल्थी खाने वाले लोग अपने भोजन में दिन में कम से कम एक बार अलग अलग ड्राइ फ्रूइट्स और बीज का उपयोग करते है, जो न केवल प्रोटीन बल्कि गुड फैट, विटामिंस, मिनेरल्स और फ़ाइबर भी प्रदान करता है। जिससे स्वस्थ, हृदय रोग और वजन नियंत्रण करने में सहायता मिलती है।
3. अंकुरित दाल :
दाल यू तो एक बहुत ही अछि प्रोटीन सोर्स है जिसे रोजाना खाया जा सकता है लेकिन कई विशेषज्ञों के अनुसार दाल से मिलने वाले प्रोटीन की मात्रा शरीर में अधिक नहीं होती और पूर्णतः घूलता भी नहीं है। इसलिए इन्ही साधारण दालों को जब हम अंकुरित कर उपयोग करते है तो उनकी प्रोटीन की मात्रा काफी बढ़ जाती है। साथ ही नए अंकुर निकलने से इनमें फ़ाइबर, विटामिन और अमीनो ऐसिड की मात्रा भी बढ़ जाती है। जिसके कारण हमे 100 ग्राम अंकुरत दाल से १० - १२ ग्राम प्रोटीन मिलता है।
४. टोफू / पनीर :
दोनों पनीर और टोफू एक प्रकार के प्रोटीन सोर्स है जिन्हे एक ही तरह से खाया जाता है। वेजेटेरीअनस अक्सर दूध से पनीर बना कर अपनी प्रोटीन की लागत को पूरा करते है लेकिन कई लोग विगन होने के कारण या दूध न पचा पाने के कारण सोय बीन से बने टोफू का इस्तेमाल भी करते है। टोफू भी खाने में बिल्कुल पनीर जैसे ही होता है जिसे हम किसी भी प्रकार से पका कर खा सकते है। यू तो भारत में पनीर का उपयोग सबसे जादा किया जाता है लेकिन माना जाता है की टोफू में पाया जाने वाला प्रोटीन पनीर से मात्रा और गुणवत्ता में अधिक होता है। हमे हर १०० ग्राम टोफू से २० ग्राम प्रोटीन और पनीर से हमे १८ ग्राम प्रोटीन मिलता है।