कच्ची हल्दी किसे कहते है?
कच्ची हल्दी एक प्रसिद्ध प्रकार की हल्दी है जिसे अपने स्वाद, रंग व औषदिए गुणों के लिए उपयोग किया जाता है। खाने से इस्तेमाल होने वाली हल्दी से भिन्न, कच्ची हल्दी का स्वाद हल्का मीठा और सुगंधित होता है जो साथ ही बहुत सारी विशेषताओं से भरपूर है।
कच्ची हल्दी एक जड़ का स्वरूप है जिसे हल्दी के पौधे से निकाल जाता है। इसी जड़ को छोटे टुकड़ों में काट कर सुखाया जाता है जिससे काछी हल्दी तय्यार होती है। काछी हल्दी की सबसे बड़ी विशेषता यह है की इसमे किसी प्रकार का कीटनाशक या अन्य केमिकल्स का प्रयोग नहीं किया जाता और समान्य तौर पर खाने व इस्तेमाल करने के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है।
कच्ची हल्दी में कई गुणकारी व पोषक तत्व पाए जाते है जो हमारे शरीर को पोषण एवं सुरक्षा प्रदान करते है। इनके पोषक तत्वों की लंबी लिस्ट में सबसे ऊपर विटामिन सी, एंटी आक्सिडन्ट, एंटी इन्फ्लैमटोरी और पाचन सशक्त करने की क्षमता होती है जिसका प्रतिदिन सेवन शरीर को तंदरूस्त एवं बीमारियों से बचाता है।
कच्ची हल्दी या साधारण हल्दी कॉनसी है अधिक गुणकारी?
यू तो हल्दी और कच्ची हल्दी दोनों एक ही पौधे से प्राप्त किए जाते है, किन्तु एक हल्दी भारतिए व्यंजनों में प्रयोग की जाती है और दूसरी औषधि एवं सौन्दर्य प्रसाधन में अधिकतर इस्तेमाल होती है।
हल्दी (साधारण हल्दी):
हल्दी भी हल्दी के पौधे से प्राप्त होती है जिसे आगे जाकर कुटा, पीसा और खाने योग्य बनाया जाता है। हल्दी विटामिंस से युक्त खाने में उपयोग की जाती है, जो भोजन को स्वादिष्ट एवं पौष्टिक बनाता है। हल्दी का इस्तेमाल हमेशा पिसे हुए रूप में ही किया जाता है, जिसका उपयोग खाने में रंग, स्वाद व सुगंद लाने हेतु किया जाता है।
कच्ची हल्दी :
कच्ची हल्दी को हल्दी का सबसे जैविक रूप माना जाता है, जिसे इसी कच्चे रूप में इस्तेमाल किया जाता है। कच्ची हल्दी के कई औषदिए गुण होते है जिसे खाने व लगाने से प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार की हल्दी खाने में आचार, सब्जी या चटनी की रूप में व सौन्दर्य प्रसाधन में लेप, घोल व दूध में मिलाकर भी प्रयोग कर सकते है।
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कच्ची हल्दी खाने के क्या फायदे है?
कच्ची हल्दी अपने आप में ही सेहत के लिए फायदेमंद होती है लेकिन इन्हे रोजाना खाने व अन्य चीजों में इस्तेमाल करने से ये और भी पौष्टिक और सेहतमंद हो जाते है। ऐसे ही कच्ची हल्दी के कुछ फायदे नीचे दिए गए है जो शारीरिक एवं बाहरी सुंदरता बढ़त है,
- करकुमीन : कच्ची हल्दी में पाया जाता है करकुमीन तत्व जो एंटी सेप्टिक और एंटी इन्फ्लैमटोरी प्रॉपर्टीस से युक्त है। करकुमीन हमारे शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी एवं महत्वपूर्ण है। इसकी एंटी सेप्टिक प्रॉपर्टी होने से अंदरूनी व बाहरी घाव जल्दी भरते है और उन्हे ठीक होने में भी समय कम लगता है।
- सौन्दर्य प्रसाधन : कच्ची हल्दी का आमतौर पर इस्तेमाल सौन्दर्य प्रसाधन के लिए होता है जिसे चाहे दूध में घोल कर पी सकते है या लेप बना कर अपने चेहरे पर लगा सकते है। हल्दी रूप मिखरने में अथवा त्वचा से जुड़ी अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोग की जाती है।
- पाचन : जैसे की हम जानते है, हल्दी में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सिडनट्स और विटामिंस खाने को हजम करने व पूर्ण रूप से पचने में सहायता प्रदान करती है। हल्दी का नियमित सेवन करने से पोषक तत्व भी अच्छे से शरीर में मिल जाते है और अन्य तकलीफों से राहत देते है।
- श्वसन (रेस्परटोरी) प्रणाली : हल्दी में अधिक मात्रा में एंटी इन्फ्लैमटोरी प्रॉपर्टी होने के कारण इन्फेक्शन का खतरा कम हो जाता है और मौसमी बुखार, जुखाम एवं खासी से भी राहत मिलती है। कच्ची हल्दी प्राकृतिक होने से इसे बचों को भी बिना किसी आपत्ति के दिया जा सकता है।
- लिवर : हमारे शरीर का सबसे बड़ा यंग होने से लिवर का काम शरीर की तमाम गतिविधियों को नियंत्रित करना होता है लेकिन समय समय पर लिवर को साफ एवं टॉक्सिन रहित करना भी जरूरी है। यह काम कच्ची हल्दी में पाए गए पोषक तत्व व गुण करते है ।
- प्रतिरोधक क्षमता : जब कच्ची हल्दी पाचन सुधरेगी, लिवर मज़बूत करेगी और श्वसन (रेस्परटोरी) प्रणाली को भी इन्फेक्शन से बचाएगी, तो इन सबसे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी सुधार देखा जाएगा। किसी भी रोग बीमारी से लड़ने का काम हमारी प्रतिरोधक क्षमता ही करती है और इसे मजबूती देना का काम कच्ची हल्दी करता है ।
कच्ची हल्दी का सेवन किस प्रकार करे?
आमतौर पर कच्ची हल्दी सबूत खरीदा जाता है और जरूरत अनुसार पीसा व कुटा जाता है। चाहे हल्दी को खाने में इस्तेमाल किया जाए या लेप बना कर लगाया जाए, हर रूप में हल्दी अपने गुणों का प्रमाण देती है। ऐसे ही कुछ खास कच्ची हल्दी के उपयोग और प्रयोग नीचे लिखे गए है जो आपको हल्दी इस्तेमाल करने के नए तरीके सिखाता है व दर्शाता है,
१. कच्ची हल्दी और दूध : सर्दियों के मौसम में होने वाली सर्दी, जुखाम, बुखार और खासी को ठीक करना बहुत मुश्किल होजाता है, जहां अक्सर लोग दवाई न लेकर घरेलू उपाये करना जादा पसंद करते है। इसी इलाज में एक नुस्खा है हल्दी का दूध, जो एंटी आक्सिडन्ट और एंटी सेप्टिक गुणों से भरपूर है और कोई भी वाइरल इन्फेक्शन को ठीक करने में मदत करता है। इसके अलावा हल्दी के दूध का रोजाना सेवन करने से हड्डियाँ भी मज़बूत होती है और साथ ही आँखों की रोशनी में भी कमजोर होने से बच जाता है।
२. सौन्दर्य निखार : चेहरे में पिम्पलेस, कील और मुहासों के लिए अक्सर स्किन डॉक्टर एंटी सेप्टिक क्रीम के इस्तेमाल को बढ़ावा देते है। लेकिन कहेमीकल्स को चेहरे पे लगाना थोड़ा मुश्किल होता है और साइड एफफएक्टस का डर भी होता है। इसीलिए घर की सामग्रियों का उपयोग करना ही एक सही विकल्प है जिसमे बिना किसी साइड इफेक्ट के चेहरे को निखार और खूबसूरत बनाया जा सकता है। यह लेप घर में उपलब्द चीजों से ही बंता है और प्रमुख तौर पर कच्ची हल्दी से बनाया जाता है। इसका रोजाना इस्तेमाल चेहरे को साफ और पिम्पलेस से दूर रखता है।
३. हल्दी का पानी : यू तो हलड़े के कई सारे गुण एवं फायदे है जो रोजाना सेवन से हमे लाभ देता है लेकिन, सुबह सुबह खाली पेट हल्दी का पानी पीने से पाचन क्रिया ऐक्टिव और ऊर्जा का संचालन भी मिलता है। कच्ची हल्दी को सुख के उसे पीस लिया जाता है, जिसके बाद इस पीसी हुई हल्दी को खाने में या पानी में घोल के पिया जा सकता है। हल्दी पानी के रूप में हमारे शरीर में जल्दी घुल जाती है और अपच व गैस जैसे समस्या से छुटकारा देती है। अगर आपको कच्ची हल्दी का पानी पीने में बेस्वाद लगे तो आप इसमे शहद का इस्तेमाल भी कर सकते है।
४. खाने में : कच्ची हल्दी का उत्पादन भारत में होने से इसका भारतीय व्यंजनों में सबसे जादा उपयोग इया जाता है। कच्ची हल्दी को सदहरण हल्दी से अधिक कहूबूदार एवं गुण वाला माना जाता है। क्युकी कच्ची हल्दी का इतना जादा प्रचार नहीं किया जाता इसलए इसे गाँव अथवा छोटे शहरों से लिया जा सकता है जहा इसकी खेती व उत्पादन हो। इसके अलावा यह खाने में स्वाद बढ़ाने, अछा रंग देने व स्वास्थ संबंधी समस्या को दूर करने हेतु ही खाने में प्रयोग किया जाता है। लगभग हर भारतीय भोजन बनाने में हल्दी का प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है।
५. स्मूदी और शेक : हल्दी या कच्ची हल्दी का मेल दूध के साथ बहुत अछा माना जाता है। दोनों में मौजूद पोषक तत्व साथ आते ही शरीर में हाड़ियाँ, लिवर, व अन्य रोग से छुटकारे देने में सहायक होते है। अगर आप सिर्फ दूध में घोल कर हल्दी का सेवन न करना चाहे तो आप कच्ची हल्दी को स्मूदी या शेक के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते है। स्मूदी आमतौर पर दही से बनाई जाती है जिसमे आप अपनी पसंद की छीजे भी दाल सकते है। वही दूसरी ओर शेक को दूध से ही बनाया जाता है लेकिन इसमे स्वाद बढ़ाने के लिए फलों एवं दरी फ्रूइट्स का इस्तेमाल भी किया जाता है।
६. घाव का लेप : हमे अक्सर चोट लगने पर हमारे घर के बड़े उसपर हल्दी लगाने को कहते है। यह मुख्य रूप से करकुमीन जैसे तत्व की वजह से होता है तो हल्दी को एक एंटी सेप्टिक और एंटी इन्फ्लैमटोरी औषधि बनाता है। कच्ची हल्दी बड़े से बड़े जख्मों पे लगाई जा सकती है और इससे कोई नुकसान नहीं होता। खासतौर पर बची अक्सर चोट लगा लेते है जिसपे केमिकल वाली दवाई लगानी पद्धति है, जो ठीक होने में भी अधिक समय लेते है। इसलिए कच्ची हल्दी का लेप इसे घाव पर लगाना अछा होता है जिसमे इन्फेक्शन बढ़ने का डर हो , और जिस चोट को जल्द से जल्द ठीक करना हो।
७. अंदरूनी सफाई : जैसे की हमने पहले पढ़ा, कच्ची हल्दी में एंटी सेप्टिक प्रॉपर्टी होती है जो इन्फेक्शन बढ़ने से रोकती है और किटानो का सफाया भी करती है। इसलए हल्दी का सेवन खाने में तो हम रोज करते है लेकिन उसकी मात्रा बहुत कम होती है, जिससे पूरी तरह लाभ नहीं मिल पाता। इसके लिए आप कच्ची हल्दी दूध में मिला कर, स्मूदी या फिर हल्दी का शेक बना कर अपने खाने के साथ ले सकते है। अगर आप दूध न पीते हो तो पानी में हल्दी घोल उसमे शहसद डाल कर भी पी सकते है।
८. आचार : आखिर में जो बहुत आम तौर पर किया जाता है वो है कच्ची हल्दी का आचार बनाना। यू तो आचार कई प्रकार के होते है जो मौसमी फलों व सब्जियों के बनते है। वैसे ही कच्ची हल्दी के भी अनेक फायदे होने के कारण इसे कई तरीकों से खाया जाता है। कच्ची हल्दी का आचार कम तेल में बंता है जो खाने में पौष्टिक होने क साथ साथ खाने में स्वसदिष्ट भी होता है। कई लोग तो कच्ची हल्दी की सब्जी भी बनाना पसंद करते है क्युकी यह खाने में हल्की मीठी होती है।